Sunday, May 27, 2018

राजस्थान पश्चिमी क्षेत्र, जोधपुर के अधीन सभी 13 जिलों में खुलेंगी ‘इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक’ की शाखायें -डाक निदेशक केके यादव

इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक से उपभोक्ताओं के लिए आसान, कम कीमतों, गुणवत्तायुक्त वित्तीय सेवाओं की आसानी से पहुंच के लिए डाक विभाग के विस्तृत नेटवर्क और संसाधनों का लाभ मिलेगा। डाक विभाग-आईपीपीबी प्रणाली के एकीकृत होने से डाकघर बचत बैंक के लाखों खाते, जो इस समय एक क्लोज्ड लूप प्रणाली में कार्यरत हैं, बैंकिंग प्रणाली से जुड़ जाएंगे, जिससे पूर्ण अंतर-प्रचालनात्मकता प्राप्त होगी। इससे, डाकघर बचत बैंक ग्राहक, विभिन्न बैंकों से 24X 7 इंटरनेट बैंकिंग सुविधा, मोबाइल बैंकिंग, इलैक्ट्रॉनिक निधि अंतरण, ऑनलाइन बिल भुगतान, डिजिटल भुगतान जैसी सुविधाओं का लाभ उठा सकेंगे। उक्त उद्गार राजस्थान पश्चिमी क्षेत्र, जोधपुर के निदेशक डाक सेवाएँ श्री कृष्ण कुमार यादव ने डाक विभाग व इण्डिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक की समन्वय बैठक का 25 मई को शुभारम्भ करते हुए कहीं। इस अवसर पर राजस्थान पश्चिमी क्षेत्र, जोधपुर के अधीन सभी 13 जिलों के ‘इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक’ के मैनेजर्स व सभी मण्डलाधीक्षक मौजूद थे। 
डाक निदेशक श्री यादव ने कहा कि इण्डिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक विभिन्न माध्यमों द्वारा कार्य करेगा, जिनमें काउंटर प्रचालन, एटीएम/माइक्रो एटीएम, द्वार पर, मोबाइल और इंटरनेट बैंकिंग, आधार आधारित भुगतान, मोबाइल वॉलेट्स, पीओएस, एमपीओएस जैसे प्रीपेड यंत्र, यूएसएसडी/यूपीआई आदि शामिल होंगे। श्री यादव ने कहा कि इसका मुख्य फोकस ग्रामीण क्षेत्रों के सामाजिक क्षेत्र के कार्यरत लाभार्थियों, प्रवासी श्रमिकों, गैर-संगठित क्षेत्र के कर्मचारियों, सूक्ष्म, लघु तथा मध्यम उद्यमों, पंचायतों, अल्प-आय वाले परिवारों तथा ग्रामीण और शहरी क्षेत्रों के बैंकिंग सुविधा से वंचित तथा अल्प बैंकिंग सुविधा वाले वर्गों पर होगा। इसके द्वारा अल्प  बैंकिंग सुविधा वाली जनता के लिए वित्तीय समावेशन कार्यक्रम की भी शुरुआत की जाएगी। 

डाक निदेशक श्री कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि  इण्डिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक  को शीघ्र ही चरणबद्ध तरीके से क्रियान्वित किया जायेगा, जिस हेतु सभी चरणों में रोल आउट होने वाले एक्सेस पॉइंट अर्थात प्रधान डाकघरों, उपडाकघरों एवं शाखा डाकघरों के चयन संबंधी प्रक्रिया पूर्ण हो चुकी है।  इसके अंतर्गत पायलट चरण में 5 डाकघरों का, जिनमें प्रधान डाकघर, आदर्श सांसद ग्राम के तहत चयनित उपडाकघर एवं शाखा डाकघर, द्विपदीय शाखा डाकघर तथा उनके सम्बंधित लेखा कार्यालय को वरीयता देते हुए, का चयन किया गया है।  कुल 7 चरणों में  प्रस्तावित रोल आउट में पायलट चरण में प्रत्येक इण्डिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक  शाखा के 5 एक्सेस पॉइंट, प्रथम चरण में प्रत्येक इण्डिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक शाखा के कुल एक्सेस पॉइंट का  10 %, दूसरे चरण में 20 % और इसी तरह से तीसरे, चौथे, पाँचवें  चरण में क्रमश: 20-20% एवं अंतिम चरण में बचे हुए शेष डाकघर रोल आउट किये जायेंगे ।  


आईपीपीबी के राजस्थान सर्किल के मैनेजर श्री गौतम मिश्र ने कहा की इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक आरंभ होने के बाद डाकघरों की सेवा और पहुँच में और भी इजाफा होगा। 
कार्यक्रम के आरम्भ में आईपीपीबी जोधपुर की सीनियर मैनेजर सुश्री लता चौहान ने डाक निदेशक श्री कृष्ण कुमार यादव का बुके द्वारा स्वागत किया। 
तत्पश्चात दीप प्रज्वलन कर  डाक निदेशक ने कार्यक्रम का शुभारम्भ किया।  स्वागत सहायक निदेशक इशरा राम, आभार मैनेजर सुनील कुमार व संचालन सहायक अधीक्षक सुदर्शन सामरिया द्वारा किया गया। 
इस अवसर पर सीनियर पोस्टमास्टर गुमान सिंह शेखावत, डाक उपाधीक्षक ओपी सोडिया, लेखाधिकारी डीआर सैनी, सहायक अधीक्षक राजेंद्र सिंह भाटी, विनय खत्री, पारसमल सुथार, मुकेश सोनी, जितेंद्र गर्ग, अमित कुमार, ओपी चांदोरा, विजय सिंह सहित तमाम अधिकारी-कर्मचारी मौजूद रहे।   
डाक विभाग और इंडिया पोस्ट पेमेंट्स बैंक के समन्वय बैठक का डाक निदेशक केके यादव ने किया शुभारम्भ 

Tuesday, May 8, 2018

राजस्थान में डाक जीवन बीमा में सर्वाधिक प्रथम प्रीमियम अर्जित कर जोधपुर रीजन ने बनाया रिकार्ड

डाक विभाग पत्रों के साथ-साथ एक लम्बे समय से जीवन बीमा के क्षेत्र में भी है। जोधपुर रीजन ने इस क्षेत्र में भी नए आयाम रचे हैं। वित्तीय वर्ष 2017-18  में डाक जीवन बीमा और ग्रामीण डाक जीवन बीमा में 13.56 करोड़ का प्रथम प्रीमियम प्राप्त कर राजस्थान परिमंडल में सर्वोच्च स्थान प्राप्त किया  है। 
इस सम्बन्ध में राजस्थान पश्चिमी क्षेत्र, जोधपुर के निदेशक डाक सेवाएं श्री कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि वित्तीय वर्ष 2017-18  में कुल 9,830 नई पॉलिसियाँ जारी की गईं, जिनमें कुल बीमित राशि 3.19 अरब  के सापेक्ष 13.56 करोड़ रूपये का नया प्रीमियम और 1.40 अरब  रूपये का कुल प्रीमियम अर्जित किया गया। डाक जीवन बीमा और ग्रामीण डाक जीवन बीमा में वित्तीय वर्ष 2016-17 के सापेक्ष 5 फीसदी की वृद्धि दर्ज की गई है।
डाक निदेशक श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि जीवन बीमा के क्षेत्र में भी डाक विभाग नित नये आयाम स्थापित कर रहा है। वित्तीय समावेशन के तहत जोधपुर रीजन के अधीन 13 राजस्व जिलों में 15 संपूर्ण बीमा ग्राम बनाये गए हैं। इसके साथ ही सभी सांसद आदर्श ग्रामों को भी संपूर्ण बीमा ग्राम बनाने के प्रयास किये जा रहे हैं। श्री यादव ने बताया कि राजस्थान पश्चिमी क्षेत्र, जोधपुर में वर्तमान में कुल 7 लाख, 96 हजार 116 पॉलिसियाँ संचालित हैं, जिनमें  डाक जीवन बीमा और ग्रामीण डाक जीवन बीमा में क्रमश: 78,960 और 7,17,156 पॉलिसियाँ संचालित हैं। 
गौरतलब है कि ”डाक जीवन बीमा” के तहत हाल ही में  सरकारी/अर्द्ध सरकारी कर्मचारियों के साथ-साथ प्रोफेशनल सेवाओं से जुड़े लोगों को भी बीमित करने की सुविधा दी गई है। इसमें 6 योजनायें-सुरक्षा, संतोष, सुविधा, युगल सुरक्षा, सुमंगल व चिल्ड्रेन  पॉलिसी हैं।
निदेशक डाक सेवाएँ श्री कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि इसमें निवेश की सुरक्षा पर सरकार की गांरटी, धारा 88 के तहत आयकर में छूट, कम प्रीमियम और अधिक बोनस, ऑनलाइन प्रीमियम जमा, पॉलिसी पर लोन की सुविधा, देश के किसी भी डाकघर में प्रीमियम जमा करने की सुविधा और अग्रिम प्रीमियम जमा करने पर छूट जैसी तमाम सुविधाएँ उपलब्ध हैं। 





राजस्थान में डाक जीवन बीमा में सर्वाधिक प्रथम प्रीमियम अर्जित कर जोधपुर रीजन ने बनाया रिकार्ड 
जीवन बीमा के क्षेत्र में भी डाक विभाग स्थापित कर रहा नित नये आयाम-डाक निदेशक केके यादव 
वित्तीय समावेशन के तहत 15 गाँवों को बनाया 'संपूर्ण बीमा ग्राम'

Monday, May 7, 2018

अनूठा त्रिनेत्र गणेश मंदिर रणथंभौर, जहाँ भगवान गणेश को सुनाई जाती हैं लोगों की चिट्ठियाँ

तकनीक के प्रादुर्भाव के बाद भी कुछ चीजें नहीं बदलती हैं। ये चीजें हमारे सामाजिक और धार्मिक मूल्यों से जुडी होती हैं। इन्हीं में से एक है प्रथम पूज्य भगवान श्रीगणेश को विवाह या अन्य शुभ कार्यों हेतु प्रथम  निमंत्रण पत्र भेजने की परम्परा। सामान्यतया देश के अधिकांश हिस्सों में ऐसा होता है। पर  गणेशजी का एक ऐसा भी मंदिर है, जिसके पते पर  आज भी डाकिया शादी-ब्याह के दिनों में प्रतिदिन एक हजार से ज्यादा डाक वितरित करता है।
यह मंदिर है राजस्थान के सवाई माधोपुर जनपद में रणथंभौर किले में स्थित त्रिनेत्र गणेशजी मंदिर।  ई-मेल, व्हाट्सऐप और सोशल मीडिया के इस दौर में भी सवाई माधोपुर में स्थित खिलचीपुर शेरपुर शाखा डाकघर के डाकिये स्पीड पोस्ट, रजिस्टर्ड पोस्ट और साधारण डाक के रूप में प्राप्त इन निमंत्रण रूपी पत्रों को  दो से तीन बोरों  में भरकर मंदिर के पते पर पहुँचाते हैं। इस मंदिर में जाने के लिए लगभग 1579 फीट ऊँचाई पर भगवान गणेश के दर्शन हेतु जाना पड़ता है।  मंदिर में ये पत्र पुजारियों को दे दिए जाते हैं और वे इन्हें भगवान गणेश के चरणों में अर्पित कर देते हैं। इसके बाद कुछ पत्र गणेशजी को दिन में दो बार पढ़कर सुनाए जाते हैं।
कहते हैं कि यहाँ जो भी अपना दुख बताता है, गणेश जी उसे दूर करते हैं। ऐसे में लोग पत्रों के जरिए अपनी मन्नत भी भेजते हैं जो पूरी हो जाती है। यहाँ जंगल में दुर्गम पहाड़ी पर चलकर हर रोज डाकिया हजारों कार्ड्स और पत्र लाता है। पुजारी लोगों की व्यथा और मन्नत के साथ उनके निमंत्रण को पढ़कर गणेशजी को सुनाते हैं और उनके चरणों में समर्पित कर देते हैं। यह मंदिर प्रकृति व आस्था का अनूठा संगम है। भारत के कोने-कोने से लाखों की तादाद में दर्शनार्थी यहाँ पर भगवान त्रिनेत्र गणेश जी के दर्शन हेतु आते हैं और कई मनौतियां माँगते हैं, जिन्हें भगवान त्रिनेत्र गणेश पूरी करते हैं। 
भगवान श्रीगणेश के इस मंदिर  का निर्माण 10वीं सदी में रणथंभौर के राजा हम्मीरदेव चौहान  ने करवाया था, लेकिन मंदिर के अंदर भगवान गणेश की प्रतिमा स्वयंभू है। इतिहास में झाँकें  तो राजा हम्मीरदेव चौहान व दिल्ली के शासक अलाउद्दीन खिलजी का युद्ध 1299-1301 ईस्वी के बीच रणथम्भौर में हुआ। उस समय अलाउद्दीन खिलजी ने रणथम्भौर के दुर्ग को चारों तरफ से घेर लिया था।  नौ माह से भी अधिक समय तक रणथम्भौर दुर्ग चारों तरफ से मुगल सेना से घिरा हुआ होने के कारण दुर्ग में रसद सामग्री खत्म होने लगी। कहते हैं कि युद्ध के दौरान राजा के सपने में गणेशजी आए और उन्हें आशीर्वाद दिया। अंतत: राजा की युद्ध  में विजय हुई और उन्होंने किले में  मंदिर का निर्माण करवाया।  किंवदंती के अनुसार भगवान राम ने जिस स्वयंभू मूर्ति की पूजा की थी उसी मूर्ति को हम्मीरदेव ने यहाँ पर प्रकट किया। कहते हैं कि भगवान राम ने लंका कूच करते समय इसी गणेश का अभिषेक कर पूजन किया था। अत: त्रेतायुग में यह प्रतिमा रणथम्भौर में स्वयंभू रूप में स्थापित हुई और लुप्त हो गई।
 एक और मान्यता के अनुसार जब द्वापर युग में भगवान श्रीकृष्ण का विवाह रूकमणी से हुआ था तब भगवान श्रीकृष्ण गलती से गणेश जी को बुलाना भूल गए जिससे भगवान गणेश नाराज हो गए और अपने मूषक को आदेश दिया की विशाल चूहों की सेना के साथ जाओ और कृष्ण के रथ के आगे सम्पूर्ण धरती में बिल खोद डालो। इस प्रकार भगवान श्रीकृष्ण का रथ धरती में धँस गया और आगे नहीं बढ़ पाये। मूषकों के बताने पर भगवान श्रीकृष्ण को अपनी गलती का अहसास हुआ और रणथम्भौर स्थित जगह पर गणेश को लेने वापस आए, तब जाकर कृष्ण का विवाह सम्पन्न हुआ। तब से भगवान गणेश को विवाह व मांगलिक कार्यों में प्रथम आमंत्रित किया जाता है। यही कारण है कि रणथम्भौर गणेश को भारत का प्रथम गणेश कहते है।

भारत में चार स्वयंभू गणेश मंदिर माने जाते हैं, जिनमें रणथम्भौर स्थित त्रिनेत्र गणेश जी प्रथम है। इसकी विशेषता यह है कि इस मंदिर में भगवान गणेश त्रिनेत्र रूप में विराजमान हैं जिसमें तीसरा नेत्र ज्ञान का प्रतीक माना जाता है। पूरी दुनिया में यह एक ही मंदिर है जहाँ भगवान गणेश अपने पूर्ण परिवार अर्थात अपनी पत्नी रिद्धि और सिद्धि और अपने पुत्र शुभ-लाभ के साथ विराजित हैं। भगवान गणेश के वाहन मूषक (चूहा) भी मंदिर में हैं। इस मंदिर के अलावा अन्य तीन स्वयंभू गणेश मंदिर, सिद्दपुर गणेश मंदिर गुजरात, अवंतिका गणेश मंदिर उज्जैन एवं सिद्दपुर सिहोर मंदिर मध्यप्रदेश में स्थित हैं । कहा जाता है कि महाराजा विक्रमादित्य जिन्होंने विक्रम संवत् की गणना शुरू की प्रत्येक बुधवार उज्जैन से चलकर रणथम्भौर स्थित त्रिनेत्र गणेश जी के दर्शन हेतु नियमित जाते थे, उन्होंने ही उन्हें स्वप्न दर्शन दे सिद्दपुर सीहोर के गणेश जी की स्थापना करवायी थी।

कहते हैं कि गणेश जी की ये मूर्ति तराशी हुई नहीं हैं बल्कि खुद-ब-खुद एक चट्टान के रूप में मिली है। गणेश जी के तीन नेत्र हैं। भारत में ये अपने आप में अनोखा मंदिर है। गजवंदनम् चितयम् में विनायक के तीसरे नेत्र का वर्णन किया गया है, लोक मान्यता है कि भगवान शिव ने अपना तीसरा नेत्र उत्तराधिकारी स्वरूप  पुत्र गणपति को सौंप दिया था और इस तरह महादेव की सारी शक्तियाँ गजानन में निहित हो गई। महागणपति षोड्श स्त्रौतमाला में विनायक के सौलह विग्रह स्वरूपों का वर्णन है। महागणपति अत्यंत विशिष्ट व भव्य है जो त्रिनेत्र धारण करते हैं, इस प्रकार ये माना जाता है कि रणथम्भौर के  महागणपति का ही स्वरूप है। यही कारण है कि ऐसे में मुगल काल से ही लोगों में इस मंदिर के प्रति भारी आस्था थी। मुगलकाल में भी लोग यहाँ जाकर दर्शन करते और मांगलिक कार्यों  में निमंत्रण भी देते थे। घुड़सवार यहाँ राजाओं के निमंत्रण लेकर आया करते थे। अंग्रेजों के जमाने में डाक व्यवस्था शुरू होने के बाद लोग घर बैठे निमंत्रण-पत्र और अपनी व्यथा पत्र के जरिए भेजने लगे।
- कृष्ण कुमार यादव @ डाकिया डाक लाया 

Thursday, May 3, 2018

डाक विभाग की पहल : जोधपुर रीजन के 330 गाँव बने सम्पूर्ण सुकन्या समृद्धि ग्राम, सवा दो लाख बेटियों के खुले सुकन्या खाते

'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' के तहत प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी द्वारा आरम्भ की गई 'सुकन्या समृद्धि योजना' में जोधपुर पोस्टल रीजन ने पहल करते हुए नई इबारत लिखी है। इसके तहत जहाँ 10 साल तक की बेटियों के खूब खाते खोले गए हैं, वहीं कई गाँवों में सभी बेटियों के खाते खुलवाकर उन्हें  सम्पूर्ण सुकन्या समृद्धि ग्राम बना दिया है। 

इस सम्बन्ध में राजस्थान पश्चिमी क्षेत्र, जोधपुर के निदेशक डाक सेवाएँ श्री कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि जोधपुर रीजन में अब तक 330 गाँवों को संपूर्ण  सुकन्या समृद्धि ग्राम बना दिया गया है। इन गाँवों में दस साल तक की सभी योग्य बालिकाओं के सुकन्या खाते डाकघर में खोले जा चुके हैं। इनमें भी 276 संपूर्ण सुकन्या समृद्धि ग्राम वित्तीय वर्ष 2017-18 के दौरान बनाए गए हैं। यही नहीं, इन गाँवों में यदि किसी घर में बेटी  के  जन्म की किलकारी गूँजती  है तो डाकिया तुरंत उसका सुकन्या खाता खुलवाने हेतु पहुँच जाता है। डाक निदेशक श्री कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि बालिकाओं के आर्थिक सशक्तिकरण की दिशा में उठाये गए इस कदम के तहत जोधपुर रीजन के डाकघरों में सुकन्या समृद्धि योजना के तहत लगभग 2 लाख 23 हजार खाते खोले जा चुके हैं, जिनमें करीब 01 अरब 47 लाख रूपये जमा हुए हैं।  




गौरतलब है कि प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने जनवरी, 2015 में 'बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ' अभियान के तहत सुकन्या  समृद्धि योजना  का आगाज किया था। इसके तहत किसी भी डाकघर में दस साल तक की बालिकाओं का सुकन्या समृद्धि खाता खुलवा सकते है। डाक निदेशक श्री कृष्ण कुमार यादव ने बताया कि इसमें एक वित्तीय वर्ष में न्यूनतम 1,000 और अधिकतम डेढ़ लाख रूपये तक जमा किये जा सकते हैं। इस योजना में खाता खोलने से मात्र 15 वर्ष तक धन जमा कराना होगा।  बेटी की उम्र 18 वर्ष होने पर जमा राशि का 50 प्रतिशत व सम्पूर्ण राशि 21 वर्ष पूरा होने पर निकाली जा सकती है। वर्तमान में ब्याज दर 8.1 प्रतिशत हैं और जमा धनराशि में आयकर छूट का भी प्रावधान है। 

डाक निदेशक श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि सुकन्या समृद्धि योजना सिर्फ निवेश का एक माध्यम नहीं है, बल्कि यह बालिकाओं के उज्ज्वल व समृद्ध भविष्य से भी जुडा हुआ है। इस योजना के आर्थिक के साथ-साथ सामाजिक आयाम महत्वपूर्ण हैं। इसमें जमा धनराशि पूर्णतया बेटियों के लिए ही होगी, जो उनकी शिक्षा, कैरियर  एवं विवाह में उपयोगी होगी। यह योजना बालिकाओं के सशक्तिकरण के द्वारा भविष्य में महिला सशक्तिकरण को भी बढ़ावा देगी।









डाक विभाग की पहल : जोधपुर रीजन के 330 गाँव बने सम्पूर्ण सुकन्या समृद्धि ग्राम
राजस्थान पश्चिमी क्षेत्र  में 2 लाख 23 हजार बेटियों के डाकघरों में खुले सुकन्या खाते, 01 अरब 47 लाख रूपये हुए जमा