Sunday, November 13, 2016

डाक निदेशक कृष्ण कुमार यादव ने जारी किया 'शेखावाटी हवेली' व 'पीरामल बालिका विद्यालय' पर विशेष आवरण


डाक टिकटों के माध्यम से जहाँ अपनी सभ्यता और संस्कृति के गुजरे वक्त को आईने में देखा जा सकता है, वहीं इस नन्हे राजदूत का हाथ पकड़कर नित नई-नई बातें भी सीखने को मिलती हैं। व्यक्तित्व परिमार्जन के साथ-साथ डाक टिकटों का शिक्षा प्रणाली को मजबूत करने में अहम योगदान है। हर डाक टिकट एक अहम एवं समकालीन विषय को उठाकर वर्तमान परिवेश से इसे जोड़ता है। ऐसे में स्कूली विद्यार्थियों और युवाओं में डाक टिकट संग्रह की अभिरुचि विकसित करने की जरूरत है।  उक्त उद्गार राजस्थान पश्चिमी क्षेत्र, जोधपुर के निदेशक डाक सेवाएं श्री कृष्ण कुमार यादव ने डाक विभाग द्वारा झुञ्झुनु में आयोजित दो दिवसीय डाक टिकट प्रदर्शनी 'शेखावाटीपेक्स-2016' के समापन समारोह में 5 नवम्बर 2016 को बतौर मुख्य अतिथि अपने उद्बोधन में व्यक्त किये। 

डाक निदेशक श्री कृष्ण कुमार यादव ने कहा कि ग्लोबलाइजेशन कि अवधारणा भले ही नई हो परंतु डाक टिकट एक लंबे समय से भूमंडलीकरण के प्रतीक रहे हैं। डाक टिकट लगे पत्र विभिन्न देशों के मध्य जिस तरह अबाधित रूप से आते-जाते रहते हैं, वह वर्तमान ग्लोबलाइजेशन की पूर्व-पीठिका को दर्शाता है। ‘शौक़ों का राजा’ और ‘राजाओं का शौक’ कहे जाने वाली इस विधा ने  आज सामान्य जनजीवन में भी उतनी ही लोकप्रियता प्राप्त कर ली है। छोटा सा कागज का टुकड़ा दिखने वाले डाक टिकट वक्त के साथ एक ऐसे अमूल्य दस्तावेज बन जाते हैं, जिनकी कीमत लाखों से करोड़ों रुपए में होती है। भारत में 1852 में जारी प्रथम डाक टिकट 'सिंदे टिकट' की कीमत आज 4 लाख से 35 लाख रुपए तक है तो दुनिया का सबसे महंगा डाक टिकट ब्रिटिश गुयाना द्वारा  सन् 1856 में जारी किया गया एक सेण्ट का डाक-टिकट है जो वर्ष 2014 में रिकॉर्ड 9.5 मिलियन अमेरिकी डॉलर में बिका।



निदेशक डाक सेवाएँ श्री कृष्ण कुमार यादव  ने प्रदर्शनी में राजस्थान की प्रसिद्ध शेखावाटी हवेली एवं  झुञ्झुनु स्थित पीरामल बालिका विद्यालय, बगड़ पर एक विशेष आवरण (लिफाफा) और विरूपण भी जारी किया। श्री यादव ने कहा कि शेखावाटी हवेलियाँ अपने भित्ति चित्रों एवं वास्तु कला के लिए विश्वविख्यात हैं। इन हवेलियों की छतों तथा दीवारों पर की गयी चित्रकारी इन्हें अन्य हवेलियों से श्रेष्ठ बनाती है। 


श्री कृष्ण कुमार यादव ने आगे कहा कि पीरामल बालिका विद्यालय की स्थापना महिला शिक्षा को प्रसारित करने के उद्देश्य से स्वतंत्रता से पूर्व सेठ श्री पीरामल द्वारा सन 1930 में की गयी थी, वर्तमान में यह शिक्षण संस्थान बालिकाओं की शिक्षा हेतु  नवीन आयाम स्थापित कर रहा है।

झुंझुनू मंडल के  अधीक्षक डाकघर  श्री के एल सैनी ने कहा कि इस प्रदर्शनी के माध्यम से झुंझुनू मंडल में डाक टिकट संग्रहकर्ताओं को नए आयाम मिले हैं। जिस तरह डाक टिकटों के क्षेत्र में नित अनूठे परिवर्तन हो रहे हैं, वह सराहनीय हैं। कार्यक्रम में विशिष्ट अतिथि के रूप में पधारे पीरामल ट्रस्ट के सचिव श्री विकास उपाध्याय ने कहा कि डाक विभाग भारत के सबसे पुराने विभागों में है और इस प्रकार की पहल फिलेटली को युवाओं के और नजदीक लाती है।







शेखावाटीपेक्स-2016  के समापन अवसर पर डाक टिकट प्रदर्शनी प्रतियोगिता के विजेताओं को निदेशक डाक सेवाएं श्री कृष्ण कुमार यादव द्वारा पुरस्कृत किया गया। इनमें  सीनियर सवंर्ग में  सर्वश्री सुशील सोनी, राकेश गोगावत व अजय कुमार गुप्ता एवं जूनियर सवंर्ग में मनन उदय परिहार, अर्चित कुमार व शहजाद मोहम्मद को क्रमश: प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त हुआ। स्कूली विद्यार्थियों  हेतु आयोजित पत्र लेखन प्रतियोगिता में सीनियर वर्ग में मनिका कुमारी, तनिषा टीबडेवाल एवं डिम्पल योगी एवम जूनियर वर्ग में रितिका शर्मा, नवीना व प्रियांशु ढाका क्रमश: प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त हुआ। डाक टिकट डिजाइन प्रतियोगिता में कक्षा 1-5 तक के वर्ग में सिया रिनगसिया, स्पर्श तुलसियान व पलक तथा कक्षा 9-12  तक के वर्ग में आदित्य कस्वां, श्रृष्टि व जितेश कुमार को क्रमश: प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त हुआ। इसके अतिरिक्त प्रश्नोत्तरी प्रतियोगिता में जय पब्लिक विद्यालय, जीबी मोदी विद्या मन्दिर तथा जीबी मोदी पब्लिक स्कूल को क्रमश: प्रथम, द्वितीय व तृतीय स्थान प्राप्त हुआ।


इस अवसर पर 'शेखावाटीपेक्स-2016' के ज्यूरी सदस्य श्री आर.के. भूतड़ा एवं श्री अजय कुमार आचार्य, सहायक डाक अधीक्षक राधे श्याम चौहान, डाक निरीक्षक सुदर्शन सामरिया, आर.पी. कुमावत, हरी प्रसाद कुड़ी, तथा कार्यालय सहायक हेमलता सैनी, राकेश कुल्हरी, हरी सिंह महला,सतेंदर सिंह, श्रीराम सैनी,एमई सहित तमाम फिलेट्लिस्ट, स्कूली विद्यार्थी और प्रबुद्धजन उपस्थित थे। कार्यक्रम का संचालन श्री एस.के. पोरवाल तथा धन्यवाद ज्ञापन श्री धर्मपाल सिंह ढाका ने किया।






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