Friday, June 28, 2013

डाक विभाग ने रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के समक्ष बैंकिंग लाइसेंस के लिए किया आवेदन


देश भर में फैले डाकघर अब बैंक बनने जा रहे हैं। भारतीय डाक विभाग ने बैंकिंग लाइसेंस के लिए आवेदन कर दिया है। विभाग ने बृहस्पतिवार, 27 जून 2013 को रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया के समक्ष लाइसेंस हासिल करने के लिए आवेदन कर दिया है।

दूरसंचार एवं आईटी मंत्री कपिल सिब्बल ने बताया कि हमने रिजर्व बैंक से संपर्क किया है और उम्मीद है रिजर्व बैंक की सभी शर्तें पूरी होने से सैद्धांतिक मंजूरी मिल जाएगी। यदि यह मंजूरी मिल जाती है तो मुझे लगता है कि यह एक क्रांतिकारी कदम होगा क्योंकि इससे देश में बैंकिंग सेवाएं साधारण व्यक्ति के दरवाजे तक पहुंच जाएंगी। हालांकि, इस संबंध में मंत्रिमंडल की मंजूरी आवश्यक होगी। रिजर्व बैंक नए बैंकिंग लाइसेंस देने की प्रक्रिया में है और उसने आवेदन करने की समय सीमा 1 जुलाई तय की है। 


देश में डाक विभाग के पास 1,54,822 डाक घरों का नेटवर्क है जिसमें 1,39,086 डाक घर ग्रामीण इलाकों में हैं और 15,736 डाक घर शहरी इलाकों में हैं। लिहाजा, अगर डाकघरों के बैंक बनने का रास्ता साफ हो जाएगा, तो यह देश का सबसे बड़ा बैंकिंग नेटवर्क होगा।  डाक विभाग की योजना पहले साल में 50 बैंक शाखाएं शुरू करने की है और 5 साल में इसे बढ़ाकर 150 शाखाओं पर पहुंचाने की है। मंत्री ने कहा कि रिजर्व बैंक की सैद्धांतिक मंजूरी मिलने के बाद डाक विभाग को अपनी योजना पर आगे बढ़ने के लिए मंत्रिमंडल की मंजूरी की दरकार होगी। 



डाक विभाग को बैंकिंग लाइसेंस मिलने के बाद कैबिनेट की मंजूरी अहम है। इसके लिए जो प्रस्ताव डाक विभाग ने तैयार किया है, उसके मुताबिक बैंक की शुरुआत करने के लिए 1,900 करोड़ रुपये की जरूरत होगी। इसमें से 500 करोड़ रुपये की पेड-अप कैपिटल होगी, जो कि किसी को भी बैंक की शुरुआत करने के लिए नए बैंकिंग लाइसेंस नियमों के तहत जरूरी है। डाक बैंकों को डाक विभाग के स्वामित्व में रखने का प्रस्ताव है और इसका निदेशक मंडल पूरी तरह से स्वतंत्र होगा जिसमें वित्त मंत्रालय एवं संचार व आईटी मंत्रालय के प्रतिनिधि होंगे।

 फिलहाल डाक विभाग के पास 4.25 करोड़ से ज्यादा बचत खाते हैं, जो कि किसी भी बैंक के मुकाबले कहीं ज्यादा हैं। इसके अलावा डाक विभाग की सबसे बड़ी खूबी है उसका देशभर में फैला नेटवर्क। यह नेटवर्क देश में सभी बैंकों के नेटवर्क से भी बड़ा है।


वहीं, सरकार की वित्तीय समावेश की योजना को डाकघरों के जरिए काफी तेजी के साथ बढ़ावा दिया जा सकता है। इसलिए, डाकघरों का बैंकों में तब्दील होना बेहद फायदेमंद होगा।

1 comment:

Akshitaa (Pakhi) said...

Wow..I have also my Account in Post Office.