Thursday, July 16, 2009

डार्विन के अप्रकाशित पत्रों का होगा प्रकाशन

आपने कभी सोचा है कि पत्रों द्वारा किसी के व्यवहार को जांचा जा सकता है। जी हां, यह फार्मूला महान वैज्ञानिक डार्विन पर अपनाया जा रहा है। डार्विन का विचार था कि महिलाएं घरेलू काम और बच्चों की देखभाल के लिए उपयुक्त होती हैं पर जिन महिलाओं ने उन्हें खत लिखा, उनमें वैज्ञानिक सोच को बढ़ावा देने में डार्विन ने काफी सार्थक भूमिका निभाई थी। महिलाओं और यौन व्यवहार पर चाल्र्स डार्विन के ऐसे ही विचारों के अध्ययन के लिए कैंब्रिज विश्वविद्यालय ने एक परियोजना ‘डार्विन और जेंडर‘ की शुरूआत की है। डार्विन के जीवन के अनछुए पहलुओं के अलावा स्त्री-पुरूष संबंधों की वैज्ञानिक और सामाजिक नजरिए से पड़ताल की जाएगी। ‘डार्विन और जेंडर‘ परियोजना में पहली बार इस महान प्रकृति विज्ञानी के अनछुए और अब तक प्रकाशित नहीं किए गए पत्रों और लेखों को लोगों के सामने लाया जाएगा। तीन साल की इस परियोजना को कैंब्रिज विश्वविद्यालय की लाइब्रेरी के ‘‘डार्विन पत्राचार प्रोजेक्ट‘‘ के अंतर्गत चलाया जाएगा। इस परियोजना के बाद अपनी बड़ी बेटी हेनरीएटा से डार्विन के संबंध सामने आएंगे। डार्विन ने जब ‘ओरिजिन आॅफ द स्पीसीज‘ लिखी, उस वक्त हेनरीएटा बहुत छोटी थी पर बाद में उसका अपने पिता की लेखनी पर बहुत प्रभाव था। डार्विन का अपनी जिंदगी में कई महिलाओं से खतों के जरिए रिश्ता था। इनकी संख्या 148 तक बताई जाती है।

15 comments:

हिंदी साहित्य संसार : Hindi Literature World said...

...kabhi-kabhi khaton ko dekhkar log majmoon bhanp lete hain. aisa hi kuchh majra dikhta hai.

Anonymous said...

Rochak bat batai apne..abhar.

डॉ. मनोज मिश्र said...

यह बहुत काम की जानकारी दी है आपने ,शुक्रिया.

राज भाटिय़ा said...

बहुत ही रोचक जानकारी दी आप ने धन्यवाद

Akanksha Yadav said...
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Akanksha Yadav said...

Chaliye is experiment ke result ka besabri si intzar rahega.

Amit Kumar Yadav said...

डाकिया बाबू! इतनी रोचक बातें कहाँ से ढूंढ़ कर लाते हैं.

Dr. Brajesh Swaroop said...

Unche logon ki unchi pasand.

Akshitaa (Pakhi) said...

Wishing "Happy Icecream Day"...aj dher sari icecream khayi ki nahin.
See my new Post on "Icecrem Day" at "Pakhi ki duniya"

शरद कुमार said...

यह तो दिलचस्प बात हुयी.

Unknown said...

डार्विन को मैं वैज्ञानिक से ज्यादा दार्शनिक मानता हूँ.... उनके सिधान्तों को मान्यता मिलने में बहोत समय लग गया... देखिये उनके पत्रों से और क्या नयी बातें पता चलें....
अच्छी जानकारी.... शुक्रिया...!!!

www.nayikalam.blogspot.com

Akanksha Yadav said...

"शब्द-शिखर" पर इस बार "ठग्गू के लड्डू और बदनाम कुल्फी'' का आनंद लेकर अपनी राय से अवगत कराएँ !!

S R Bharti said...

Vah! Patron ki duniya aur darvin !

विनोद कुमार पांडेय said...

bahut achchi jaankari diya aapne..
badhayi ho..dakiya babu ji..

संजय भास्‍कर said...

nice talking